वैसे देखा जाए तो फैशन की दुनिया बहुत बड़ी है। उसमें कई तरह के कपड़े आप को देखने के लिए मिल जाएंगे। पर कुछ कपड़े ऐसे होते हैं,की उन कपड़ों में थोड़ा ही अंतर कर देने से उन कपड़ों की फैशन, लुक और नाम बदल जाते हैं। बस थोड़े ही अंतर से ये तय कर लिया जाता है कि वो कपड़े आपको कब पहनने हैI
तो आइये जानते हैं उन ड्रेसेज के बारे में।

पठानी सलवार और पटियाला सलवार

पठानी सलवार दक्षिण एशिया में पहना जाता है। इस सलवार को महिला और पुरुष दोनों ही पहनते हैं यह एक मुस्लिम पोशाक है। और अगर बात करें पटियाला सलवार की तो ये उत्तर भारत के पंजाब राज्य के पटियाला शहर के महिलाओं द्वारा पहना जाता है सबसे पहले पटियाला सलवार पटियाला के शाही परिवार की महिलाओं के द्वारा पहनी जाती थी। पटियाला सलवार पठानी सलवार से हूबहू मेल खाता है, बस इसमें थोड़ा सा अंतर ये है कि इन दोनों का नीचे का सिरा थोड़ा अलग होता है, और इन दोनों में डाली जाने वाली प्लेट्स का भी थोड़ा बहुत अंतर होता है। आप में से बहुत से लोग शायद नहीं जानते होंगे कि दोनों ही अलग सलवार है। और अलग-अलग उनका नाम भी है।

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पटियाला सलवार
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शरारा और गरारा

शरारा और गरारा दोनों ही मुगलो की देन हैं।दोनों ही मुगलों के जमाने से फैशन में चले आ रहे हैं। शरारा और गरारा दोनों ही मुसलमानों द्वारा ही पहनी जाती थी।

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शरारा

अब के समय में इसे सब लोग पहनना पसंद करते हैं।ये दोनों ही काफी घेरे वाले होते हैं बस इसमें अंतर ये होता है की शरारा में ऊपर कमर से घेरे शुरू होते हैं और जैसे-जैसे नीचे आते हैं, वैसे-वैसे ही ये घेरे बढ़ते जाते हैं। वहीं अगर बात करें गरारा कि तो गरारा कमर से लेकर घुटने के ऊपर तक ये फिट होता हैं और उसके नीचे जाते-जाते इनके घेरे बढ़ते जाते हैं।

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गरारा

वहीं शरारा और गरारा दोनों ही ‌मुस्लिमों द्वारा उनके शादियों में भी पहना जाता है।

प्लाजो और क्यूलॉट्स

प्लाजो पैंट शरारा का ही समानांतर रुप है बस अंतर इतना है कि शरारा ज्यादा घेरे वाला ही होता है वहीं बात करें प्लाजो की तो ये कम घेरे और ज्यादा घेरे दोनों में ही मिलते हैं

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प्लाजो

प्लाजो और क्यूलॉट्स दोनों ही कम फ्लेयर्ड और ज्यादा फ्लेयर्ड दोनों ही होते है।

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क्यूलॉट्स

बस प्लाजो और क्यूलॉट्स दोनों में अंतर बहुत थोड़ा सा होता है की प्लाजो एंकल तक होते हैं और क्यूलॉट्स एंकल से थोड़ी उपर होते हैं।

बेल बॉटम और बूट लेग या बूट कट

बेल बॉटम सबसे पहले 19वीं सदी में यूएस के नौसैनिकों द्वारा पहना जाता था। क्योंकि इसे पहनना आसान है और पानी में तत्कालीन तैराकी के वक्त इसे निकालना भी आसान रहता था और वही यूरोप में इसे बढ़ई द्वारा पहना जाता था। फिर 1960 के आसपास यह फैशन में आ गया और इसे सब लोग पहनने लगे।

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बेल बॉटम

बीच में इसका फैशन बंद हो गया था। पर 1996 के आसपास बेल बॉटम को बूट कट या बूट लेग के नाम से, महिलाओं के लिए एक नए तरीके से पेश किया गया। जहाँ बेल बॉटम में घुटने के नीचे आते ही काफी ज्यादा घेरे रहते हैं, वहीं बूट कट या बूटलेग में घुटने के नीचे आते-आते वो ऊपर जैसे ही रहते हैं।

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बूट कट

डिस्ट्रेस्ड और रिप्ड जींस

डिस्ट्रेस्ड जींस 1970 में हुए ब्रिटिश पंक और युवाओं के विद्रोह को दर्शाता है 1990 के आसपास Dolce & Gabanna ने अपने फ़ैशन शो में इसे फिर से प्रजेंट किया

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डिस्ट्रेस्ड जींस

और डिस्ट्रेस्ड जींस से ही रिप्ड जींस फ़ैशन में आया कुछ लोग इन दोनों को बिल्कुल एक जैसा ही समझते होंगे पर इन दोनों को एक जैसा समझने की भूल बिलकुल ना करीयेगा जहाँ डिस्ट्रेस्ड जिंस में कट्स के साथ साथ ढेर सारे धागे निकले हुए और उधड़े हुए होते हैं, कई बार तो इनके नीचे के हिस्से भी उधड़े हुए होते हैं। वहीं बात करें अगर रिप्ड जींस की तो इसमें ऐसा बिल्कुल नहीं होता।

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रिप्ड जींस

टैंक टॉप, केमिसोल और रेसर बैक

टैंक टॉप वो होते हैं ज्यादातर जिनके स्ट्रैप्स चौड़े होते हैं और ये केमिसोल की अपेक्षा थोड़े फिटेड होते हैं टैंक टॉप को लड़कियां किसी भी पैंट या स्कर्ट के साथ पहनना पसंद करती हैं, उसके अलावा इसको लड़कियां वर्कआउट के दौरान किसी भी वर्कआउट शाट्स या लैगिंग्स के साथ भी पहनती हैं।

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टैंक टॉप

वहीं बात करें केमिसोल की तो ये स्पेगेटी स्ट्रैप्स वाले होते हैं और इसको ज्यादातर लोग इनरवियर की तरह पहनना पसंद करते हैं और कुछ लोग इसे टॉप की तरह भी पहनना पसंद करते हैं

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और जिनका पिछे का हिस्सा (T) टी शेप में होता है उन्हें रेसर बैक टॉप कहते हैं।

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रेसर बैक